शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2018

अमिताभ तो बस एक ही है


अमिताभ तो बस एक ही है 


ये कहना कि मैं अमिताभ का फैन हूँ, बहुत आम बात है,
ये कहना कि मैं अमिताभ का भक्त हूँ, ये भी आम बात है,
पर यह कहना कि मैं अमिताभ जैसा बनाना चाहता हूँ, ये ज़रूर कोई बात है.

पर अमिताभ जैसा बनना मुश्किल ही नहीं, नामुनकिन है,
क्यों कि रिश्ते में तो हम उनके फैन लगते हैं,
पर नाम अमिताभ सिर्फ एक ही का लोग जानते हैं.

वोह आवाज़, वोह अंदाज़ उस इंसान का है,
जो जहां खड़े हो जाते हैं, 
लाइन वहीं से शुरू होती है.

काबिलियत उसका नाम है जिसका  नाम अमिताभ है,
बस नाम ही काफी है,
और काबिलियत का परिचय हो जाता है.

कद इनको कुदरत ने दिया है,
पर औधा इन्होने खुद बनाया है,
इनके कारनामें से देश का सीना चौढ़ा हो जाता है.

ये जब पग घुंघरू बाँध नाचते हैं,
तो देश झूम उठता है,
ये जब सुर लगते हैं, देश गाने लगता है.

ये भाई को सैन नहीं देते,
और `पहले इसका, पहले उसका सैन लाओ` कहते हैं,
पर सब इनके सैन के दीवाने हैं.

ये डॉन हो या हीरो, हर किरदार बखूबी निभाते हैं, 
इनको सभी ढूंढते रहते हैं,
पर ये पता नहीं कहाँ इंतज़ार कर रहे होते हैं. 

ये बेमिसाल हैं, लाजवाब हैं,
प्रोडूसर के लिए दो और दो पांच कर सकते हैं,
खुदा गवा है, अमिताभ तो बस एक ही है.