इस दिखावे की दुनिया में.....
इस दिखावे की दुनिया में थोडासा सच बोलना चाहता हूँ,
इस दिखावे की दुनिया में थोडासा टूटना चाहता हूँ,
इस दिखावे की दुनिया में थोडासा रोना चाहता हूँ,
इस दिखावे की दुनिया में थोडीसी सहानभूति चाहता हूँ,
इस दिखावे की दुनिया में अपनी इंसानियत का परिचय देना चाहता हूँ,
इस दिखावे की दुनिया में अपनी सच्चाई का संतोष महसूस करना चाहता हूँ,
इस दिखावे की दुनिया में `हाँ, मैं डर गया हूँ , मेरी मदत करो` निःसंकोष कहना चाहता हूँ,
ए दोस्त, ये दिखावा सिर्फ आत्मा पर ही नहीं अंग अंग में भारी पढ़ता है,
आखिर तो मरना है और सबको सब कुछ दिखना ही है,
तो फिर क्यों न जीते जी ही मैं क्या हूँ, मैं कौन हूँ इसका परिचय दे दूँ,
कुछ नहीं तो वो जो देख रहा है, उससे आँखें मिलाने का काबिल बन जाऊं।