सोमवार, 25 मार्च 2024

तुम दूर ही अच्छी लगती हो

तुम दूर ही अच्छी लगती हो


तुम दूर ही अच्छी लगती हो

पास बुलाने से घबराता हूँ


कहीं तुम्हारे ज़ुल्फ़ बिखर न जाये

कहीं होंट फिसल न जाए
कहीं कदम डगमगा न जाए
कहीं आंखें धोखा न खा जाए
कहीं मोहब्बत ढल न जाए

कहीं दिल बेकरार न हो जाए

कहीं कोई ऊंच नीच न हो जाए

कहीं जिंदगी के फैसले न बदल जाए

कहीं मन विचलित न हो जाए

कहीं एकाग्रता न खो जाए

कहीं हाथ थामकर रास्ता भटक न जाए
कहीं तुम्हें दूर से ताकने का अवसर न खो जाए

सच में, तुम दूर ही अच्छी लगती हो

पास बुलाने से घबराता हूँ

  

गुरुवार, 1 फ़रवरी 2024

तुम्हारे बिना

तुम्हारे बिना

जिंदगी बस एक कशमकश है


तुम्हारे बिना

रोना ही तो है

बस थोड़ा सा हंस भी लेता हूं


तुम्हारे बिना

यादें भी अधूरी हैं

फिर भी तुम्हें दिल से याद कर लेता हूँ


तुम्हारे बिना

भी खुश रहने की ठानी है, अधूरी ख़ुशी ही सही

और ये भी तुमसे ही सीखा हूँ


तुम्हारे बिना

अब वो बात नहीं रही जिंदगी में

फिर भी कुछ बात बनाने की कोशिश में हूं

तुम्हारे बिना

घर घर नहीं लगता अब

केवल एक सूनासा मकान लगता है

अपने ही घर में अजनबी सा लगता हूँ

तुम्हारे बिना

ख़ुशी डगमगा गई है

और दुख हावी हो गया है

तुम्हारे बिना

पैसे की एहमियत ढल गई है

किसके लिए कमाऊँ सोचता रहता हूँ

तुम्हारे बिना

खाना तो खा लेता हूँ

बस अब तुम्हारे हाथ का बना हुआ नहीं है

तुम्हारे बिना

जीने की वजह तो  है

पर सब कुछ अधूरा लगता है

तुम्हारे बिना

आंसू बेहना चाहते हैं

पर दिल निरंतर रोने से घबराता है

तुम्हारे बिना

काम में अब वह रस नहीं रहा

कैसे बतायें अब तुम्हें कैसा चल रहा है सब कुछ


तुम्हारे बिना

गाने अब भी गुन गुना लेता हूं

पर अब खुलकर गाने को दिल नहीं करता

तुम्हारे बिना

अब अपने लिए ख्वाहिश ढल गई है

अब हीरो किस के लिए बनूं?

तुम्हारे बिना

कभी ठीक लगता है, कभी टूट जाता हूं

जिंदगी का मजा कहीं लेकर चली गई हो

तुम्हारे बिना

अजीब स्थिति है

दुखी भी हूं और आजाद भी


तुम्हारे बिना

अजीब हो गई है जिंदगी

शांति तो है, लेकिन कोई ख़ुशी नहीं


तुम्हारे बिना

लगता है तुम नहीं हो,

फिर लगता है हो, बस अलग तरिके से, अलग रूप में


तुम्हारे बिना

तुम्हारे होने और न होने की कशमकश में दिनों को बिता रहा हूँ

तुम्हारे बिना........