तुम्हारे बिना
जिंदगी बस एक कशमकश है
तुम्हारे बिना
रोना ही तो है
बस थोड़ा सा हंस भी लेता हूं
तुम्हारे बिना
यादें भी अधूरी हैं
फिर भी तुम्हें दिल से याद कर लेता हूँ
तुम्हारे बिना
भी खुश रहने की ठानी है, अधूरी ख़ुशी ही सही
और ये भी तुमसे ही सीखा हूँ
तुम्हारे बिना
अब वो बात नहीं रही जिंदगी में
फिर भी कुछ बात बनाने की कोशिश में हूं
तुम्हारे बिना
घर घर नहीं लगता अब
केवल एक सूनासा मकान लगता है
अपने ही घर में अजनबी सा लगता हूँ
तुम्हारे बिना
ख़ुशी डगमगा गई है
और दुख हावी हो गया है
तुम्हारे बिना
पैसे की एहमियत ढल गई है
किसके लिए कमाऊँ सोचता रहता हूँ
तुम्हारे बिना
खाना तो खा लेता हूँ
बस अब तुम्हारे हाथ का बना हुआ नहीं है
तुम्हारे बिना
जीने की वजह तो है
पर सब कुछ अधूरा लगता है
तुम्हारे बिना
आंसू बेहना चाहते हैं
पर दिल निरंतर रोने से घबराता है
तुम्हारे बिना
काम में अब वह रस नहीं रहा
कैसे बतायें अब तुम्हें कैसा चल रहा है सब कुछ
तुम्हारे बिना
गाने अब भी गुन गुना लेता हूं
पर अब खुलकर गाने को दिल नहीं करता
तुम्हारे बिना
अब अपने लिए ख्वाहिश ढल गई है
अब हीरो किस के लिए बनूं?
तुम्हारे बिना
कभी ठीक लगता है, कभी टूट जाता हूं
जिंदगी का मजा कहीं लेकर चली गई हो
तुम्हारे बिना
अजीब स्थिति है
दुखी भी हूं और आजाद भी
तुम्हारे बिना
अजीब हो गई है जिंदगी
शांति तो है, लेकिन कोई ख़ुशी नहीं
तुम्हारे बिना
लगता है तुम नहीं हो,
फिर लगता है हो, बस अलग तरिके से, अलग रूप में
तुम्हारे बिना
तुम्हारे होने और न होने की कशमकश में दिनों को बिता रहा हूँ
तुम्हारे बिना........