बुधवार, 25 मार्च 2020

हाँ , ये तसल्ली हैं कि मैं अकेला परेशान नहीं हूँ

हाँ , ये तसल्ली हैं कि मैं अकेला परेशान नहीं हूँ
ये भी परेशान है, वोह भी परेशान है, हम सब परेशान हैं 

अच्छा है, किसी मोड़ पर तो कोई साथी मिला
आज तक मैं साथी ही तो ढूंढ रहा था

सोचता था वह साथी मेरे काम में मेरा साथ देगा 
और मैं उसके काम में उसका साथ दूंगा 
पर ये कैसा साथ है?
जहां पर, न तुम्हारे पास काम है, न मेरे पास काम है 

विचित्र है ये दुनिया 
ईर्षा करता है मानव जब काम होता है
सोचता है, जो उसके पास है, वह मेरे पास क्यों नहीं है, 
ये नहीं सोचता कि हम सब एक दूसरे के सफर में भागीदार कैसे बने 
पर अब देखो, न ईर्षा का कोई मौका है, न सफर का  

कुदरत ने दिया था हमें मौका साथ में आगे बढ़ने का 
उस मौके तो हमने गवां दिया 
आज हम साथ तो हैं 
पर आज हम किसी का भी कोई वजूद नहीं है 

पहले हम देखते थे कि वह क्या कर रहा है 
कहीं मुझसे आगे तो नहीं निकल रहा है 
आज एक अजीब संतोष है कि वोह भी यहीं है, मैं भी यहीं हूँ 

अब हम बात करते हैं कि जीवन का असली मतलब क्या है 
अमीर-गरीब सब आज रुके हुए हैं 
वादे कर रहे हैं एक दूसरे से कि फिर कभी नहीं लड़ेंगे 
जब सब ठीक हो जायेगा तब एक दूसरे का हाथ थामकर चलेंगे 

बातें तो हम बढ़ी अच्छी अच्छी कर रहे हैं 
पर जितना मैं इंसान को जानता हूँ, पहचानता हूँ
फितरत के हम सभी मारे हैं 
जब रास्ते फिर से खुलेंगे वही चूहे बिल्ली की दौड़ में पढ़ जायेंगे 
फिर उसी ज़िन्दगी में लौट जायेंगे जहां सिग्नल पर लाल बत्ती लगते ही 
बेसब्री से इंतज़ार करते थे हरी बत्ती का 

हम सब फिर से निकल पढ़ेंगे 
वादे भूल जायेंगे 
साथ छोड़ देंगे 
और फिर एक बार अपनी जमी हुयी आदतों में लौट जायेंगे

लगता तो ऐसा ही है 

पर कहते हैं ना, उमीद पर दुनिया कायम है
हाँ, अब भी उमीद तो है कि 
जब सब चल पढ़ेंगे, एक साथ निकलेंगे और एक दूसरे का साथ देंगे 
ईर्षा नहीं करेंगे, मोहब्बत भर देंगे अपने दिलो में एक दूसरे के लिए 
दौड़ते दौड़ते भी कुछ क्षण रुकेंगे 
एक दूसरे का हाल चाल पूछेंगे 
अपने को और दूसरों को संभालेंगे
एक दूसरे की ख़ुशी में अपनी ख़ुशी ढूंढेंगे 

ऐसा ज़माने का इंतज़ार ज़रूर है 
आपको भी, मुझको भी 

हाँ, पर इस वक़्त ये तसल्ली हैं कि मैं अकेला परेशान नहीं हूँ
ये भी परेशान है, वोह भी परेशान है, हम सब परेशान हैं










2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब काहा है ....अर्थ पूर्ण लिखा है
    सही है ये जजबा .... जब हम सब एक ही दौर से गुजरते है तो डर थोडा कम लागता होगा ....मैने कभी मेहेसुस नाही किया वारणा हमारे भी तेवर कुच ऐसे ही होते ....हम तो बस यही चाहते हैं सब खुश रहे आबाद रहे .... किसी को कभी कोई हम ना हो ....क्युकी हम झूलाज गाये है ऐसे सौर से जो किसी के नसीब में न हाे .
    अच्छे दिन तो जरूर आयेंगे .

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